1977 में जया जेटली की मुलाकात पहली बार समाजवादी नेता जार्ज फ़र्नान्डीस से हुई. उस समय वो जनता पार्टी सरकार में उद्योग मंत्री थे और जया के पति अशोक जेटली उनके स्पेशल असिस्टेंट हुआ करते थे. जया ने जॉर्ज के साथ काम करना शुरू कर दिया और 1984 आते आते जॉर्ज जया ने अपने निजी दांपत्य जीवन की बातें भी बांटने लगे, जो कि उस समय बहुत उतार-चढ़ाव से गुज़र रहा था. जया बताती हैं, "उस समय उनकी पत्नी अक्सर बीमार रहती थीं और लंबे समय के लिए अमरीका और ब्रिटेन चली जाती थीं. जार्ज जब बाहर जाते थे तो अपने बेटे शॉन को मेरे यहाँ छोड़ जाते थे." मैंने जया जेटली से पूछा कि जॉर्ज आपके सिर्फ़ दोस्त थे या इससे भी कुछ बढ़ कर? जया का जवाब था, "कई किस्म के दोस्त हुआ करते है और दोस्ती के भी कई स्तर होते हैं. महिलाओं को एक किस्म के बौद्धिक सम्मान की बहुत ज़रूरत होती है. हमारे पुरुष प्रधान समाज के अधिकतर लोग सोचते हैं कि महिलाएं कमज़ोर दिमाग और कमज़ोर शरीर की होती हैं. जॉर्ज वाहिद शख़्स थे जिन्होंने मुझे विश्वास दिलाया कि महिलाओं की भी राजनीतिक सोच हो सकती है." वो कहती हैं, "दूसरे उनकी सोच बहुत मानवतावादी थी. एक बार वो जेल में थे. पंखे के ऊपर बनाए गए चिड़िया के घोंसले से उसके दो- तीन बच्चे नीचे गिर गए. वो उड़ नहीं सकते थे. उन्होंने अपनी ऊनी टोपी से उनके लिए एक घोंसला बनाया और उन्हें पाला. वो कहीं भी जाते थे, अपनी जेब में दो टॉफ़ी रखते थे. इंडियन एयरलाइंस की फ़्लाइट में वो टाफ़ियाँ मुफ़्त मिलती थीं. वो बच्चों के देखते ही वो टॉफ़ी उन्हें खाने के लिए देते थे. ये ही सब चीज़े थीं जिन्होंने हम दोनों को जोड़ा. इसमें रोमांस का पुट बिल्कुल नहीं था."
स्टोरी और आवाज़: रेहान फ़ज़ल
स्टोरी और आवाज़: रेहान फ़ज़ल
George Fernandes and Jaya Jaitly: A unique relationship! (BBC Hindi) newspaper mockup | |
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News & Politics | Upload TimePublished on 29 Jan 2019 |
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